डॉक्टर की तलाश में भटक रहे मरीज, प्रशासन के आदेश की भी डॉक्टर कर रहे अवहेलना आखिर क्यों

डॉक्टर की तलाश में भटक रहे मरीज, प्रशासन के आदेश की भी डॉक्टर कर रहे अवहेलना


उज्जैन। 25 मई की बैठक एवं निर्देश के बावजूद 72 घंटे बीतने तक लगभग 80 प्रतिशत चिकित्सा व्यवस्था निजी चिकित्सा सेंटर न ही निर्धारित समय पर खुल रहे हैं और ना ही परेशान मरीजों को डॉक्टरों के आने की सूचना मिल रही है। अखबारों से मिली जानकारी के बाद शहर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मरीज एवं उनके परिजन माधवनगर क्षेत्र में परेशान हो रहे हैं और क्लीनिकों पर कोई उचित जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।


शहीद पार्क युवा मंच ने कलेक्टर से मांग की है कि इस संकट और आपदा के समय में जो डॉक्टर एवं अस्पताल लापरवाही कर मरीजों की उपेक्षा कर रहे हैं उनके खिलाफ मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट के निरीक्षण कर उचित और सख्त वैधानिक कार्रवाई करते हुए इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। शहीद पार्क युवा मंच संयोजक राजेश अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि शहर के आम नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं समय पर नहीं मिल पाने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। माधवनगर क्षेत्र में सर्वाधिक निजी चिकित्सकों एवं विभिन्न रोगों के विशेषज्ञों के क्लीनिक सेंटर संचालित होते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत चिकित्स विगत 65 दिनों से अपने क्लीनिक और परामर्श केन्द्रों से गायब हैं। जिसका खामियाजा बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों को भीषण गर्मी में उठाना पड़ रहा है। यही नहीं इनकी लापरवाही से उज्जैन जिले में मरीज अन्य बीमारियों से अपनी जान गंवा रहे हैं।


कलेक्टर, कमिश्नर के अनुरोध को भी नहीं माना प्रायवेट डॉक्टरों ने


11 मई को संभागायुक्त आनंद शर्मा एवं जिला कलेक्टर आशीष सिंह की उपस्थिति में बृहस्पति भवन में बैठक हुई जिसमें नर्सिंग होम संचालकों, निजी क्लीनिक संचालकों को बुलाकर चर्चा की गई जिसमें लगभग 70 डॉक्टरों ने सहभागिता की थी। इस बैठक में संभाग आयुक्त ने भी डॉक्टरों से सहयोग करने का अनुरोध किया था, कि वे आवश्यक संसाधनों के साथ आम मरीजों के उपचार के तत्कालीन सेवाओं को प्रारंभ करें एवं शहरवासियों के स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दें लेकिन ये आदेश और निवेदन लगभग हवा हो गये, चिकित्सक अपने कार्यस्थल पर नहीं पहुंचे।


स्वास्थ्य आयुक्त के आदेश भी बेअसर


17 मई को स्वास्थ्य आयुक्त ने भी स्वास्थ्य सेवाओं को तत्काल शुरू करने के संबंध में एक पत्र जारी किया जिसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम सन् 2005, 51 बी के तहत उल्लंघन करने वालों के विरूध्द प्रकरण दर्ज किये जाने की चेतावनी दी थी, ये भी बेअसर रही।


बैठक बुलाई, फिर भी निजी चिकित्सकों ने बेरूखी दिखाई


24 मई तक निजी चिकित्सकों एवं संचालकों ने इन आदेशों को सामान्य समझकर अपनी जिम्मेदारी से आंख और कान बंद करके एक बार फिर अपनी बेरूखी दर्शाते रहे। आखिरकार 25 मई को एक बार फिर सभी जनरल प्रेक्टीशनर, फैमिली फिजिशियन के क्लिनिक संचालकों एवं स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित सभी संगठन प्रमुखों की बड़ी सामूहिक बैठक नानाखेड़ा स्टेडियम में बुलाई गई जिसमें लगभग 400 लोग शामिल होना बताया गया। 26 मई से जिला कलेक्टर द्वारा एक आदेश जारी कर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत समस्त डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने और लोगों के समुचित ईलाज के प्रबंधन हेतु डिजिज एक्ट 1897 के सुसंगत सभी प्रावधानों के अंतर्गत मरीजों की उपेक्षा को अपराध की श्रेणी में माने जाने की चेतावनी स्पष्ट रूप से सार्वजनिक एवं प्रकाशित हुई। जिला कलेक्टर द्वारा संबंधित एसडीएम को समय-समय पर निरीक्षण का आदेश भी शामिल है एवं इस संबंध में निर्देशों का उल्लंघन करने वाले चिकित्सकों, अस्पतालों पर कार्यवाही वैधानिक रूप से की जाये, बावजूद इसके निजी चिकित्सकों पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता।


मोटी रकम लेकर इलाज करने वाले आपदा की घड़ी में गायब


वर्ष भर मरीजों से सेवा के नाम पर भारी भरकम राशि भी वसूली जाती रही है, अब वही पीड़ित को अपने चिकित्सक से परामर्श तो दूर फोन पर संपर्क नहीं हो पा रहा है। कोरोना काल में ये सभी मलाईदार चिकित्सक शहर की जनता को मरीजों की चिंता को छोड़ अपनी विलासिता पूर्ण जिंदगी बिता रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीज और उनके परिजन इनकी लापरवाही से सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शहर के कंटेनमेंट क्षेत्र से मुक्त फ्रीगंज क्षेत्र में निजी चिकित्सकों द्वारा बरती जा रही लापरवाही को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।