ढोल, बैंड, बाजे बजाने वालों के परिवार भूखमरी की कगार पर


उज्जैन। ढोल, बैंड, बाजे बजाने वालों के परिवार इस कोरोना महामारी में भूखमरी की कगार पर हैं। ऐसे में बैंड, ढोल, ताशा, बाजा बजाने वाले इस समाज ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर मदद की गुहार लगाई है तथा मांग की है कि सूखा राशन और आर्थिक मदद कर इस समाज को संजीवनी प्रदान की जावे।


राष्ट्रीय धानुक समाज विकास संघ के जिलाध्यक्ष संतोष सांडिया एवं महासचिव संजय ने बताया कि ढोल ताशा, बैंड बाजा बजाने वाला समाज धानुक, बसोड़, बरार, बंसकार एवं अन्य समाज का मुख्य व्यवसाय ढोल तासा बजाना ही है। जिससे उनका एवं उनके परिवार का भरण पोषण होता है। फरवरी माह में कोरोना महामारी के चलते सारे वर्षभर का पूरा सादी का सीजन चोपट हो गया, जिसके चलते बाजा बजाने वालों के परिवार भूखमरी की कगार पर खड़े हैं, इन्हें अगर तत्काल सहायता नहीं दी गई तो इस समाज की स्थिति गंभीर हो जाएगी। जे कोरोना महामारी से बचे हैं वो भूखमरी से मर जाएंगे, क्योंकि सालभर की रोजी रोटी, शादी समारोह और शुभ कार्यों पर बैंड बजाने के कार्यों पर ही निर्भर थी। देवशयनी ग्यारस से सभी शुभ कार्यों की समाप्ति के कारण इस समाज को वर्षाकार में महासंकट के दौर से गुजरना पड़ेगा क्योंकि अगला सीजन देवउठनी ग्यारस अर्थात नवंबर माह से शुरू हो सकेगा। समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा जारी पत्र के साथ ही ज्ञापन देने पहुंचे संतोष सांडिया, शंकरलाल, एनएल वर्मा, रामदयाल, अंबूप्रसाद, संजय, जीतेन्द्र, गुरूजी, संतोष आदि ने जल्द से जल्द राहत देने की मांग की।