प्रेरक कहानी/कहानी सच्ची है
शिक्षकों की मेहनत से ग्राम कराडिया के छात्रों को मिल रही है अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा
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ग्रामीणों एवं शिक्षकों ने स्कूल को छायादार एवं फलदार वृक्ष लगाकर बनाया हरा भरा
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शिक्षकों के उल्लेखनीय कार्य की सभी कर रहे हैं सराहन

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देवास 6 मई 2020 / अगर सभी मिलकर कार्य करें तो हर काम सुगम और सरल हो जाता है। शिक्षक पढ़ाई के साथ अब बच्चों को अच्छे संस्कार तो दे ही रहे हैं। साथ ही साथ स्कूल को साफ, स्वच्छ एवं सुंदर बनाने का भी बीड़ा उठाकर कार्य कर रहे हैं। ऐसे ही एक सहायक शिक्षक महेंद्र कुमार मंडलोई है, जो कि जिले के टोंकखुर्द तहसील के शासकीय प्राथमिक विद्यालय कराडिया में पदस्थ हैं । शिक्षक महेंद्र कुमार मंडलोई द्वारा विद्यार्थियों को स्कूूूल में अब अंग्रेजी माध्यम से शिक्षाा दे रहे साथ ही शिक्षक एवं ग्रामीणों द्वारा मिलकर स्कूल को सुंदर स्वच्छ एवंं हरा बनाया गया है।
यह स्कूल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर व विकासखंड से 13 किलोमीटर की दूरी पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पाडलिया संकुल के छोटे से गांव में स्थित है गांव की कुल आबादी 750 है।
सहायक शिक्षक महेंद्र कुमार मंडलोई ने बताया कि उनकी अनुकंपा नियुक्ति शासकीय माध्यमिक विद्यालय पाडलिया में 1997 में हुई 10 वर्ष तक इस विद्यालय में सेवा देने के पश्चात अतिशेष होने के कारण उनका स्थानांतरण शासकीय प्राथमिक विद्यालय आगरोद हो गया ।वहां लगभग 2 वर्ष तक सेवा देने के बाद उनका स्थानांतरण प्राथमिक विद्यालय कराडिया में 7 नवंबर 2009 को हुआ ।उन्होंने बताया कि जब उन्होंने वहां ज्वाइन किया तो एक अध्यापक के भरोसे पूरा विद्यालय मध्यान भोजन व बी एल ओ का कार्य था ।वे चाह कर भी बच्चों को समय नहीं दे पा रहे थे शाला भवन की स्थिति अत्यंत दयनीय व जर्जर थी पूरा विद्यालय कबाड़ खाने जैसा लगता था ।विद्यालय में बाउंड्री वाल नहीं होने से बहुत सारी समस्याएं हो रही थी।जुलाई 2010 में उनके गुरु श्री सत्यनारायण मंडलोई का स्थानांतरण भी प्राथमिक विद्यालय कराडिया में हो गया ।अब वे और उनके गुरु जी ने शाला को संवारने का दृढ़ निश्चय किया सर्वप्रथम हमने बीआरसी श्री कमल सिंह जी टांक से मिलकर बाउंड्री वाल के लिए आग्रह किया ।उन्होंने हमें बाउंड्री वाल स्वीकृति का आश्वासन दिया वह उसी सत्र में हमारे विद्यालय में बाउंड्री वाल बनकर तैयार हो गई। अब बारी थी शाला परिसर को हरा भरा बनाने की हमने शाला में अशोक, गुलमोहर, नीम ,पीपल ,फाइकस के कई पौधे रोपे जो आज वृक्ष का रूप ले चुके हैं गांव के जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर गांव में पालकों से संपर्क किया ग्रामीणों ने हम पर भरोसा करके बच्चों को हमारे विद्यालय में प्रवेश दिलाया बच्चों के साथ बहुत मेहनत करके हमने कक्षा एक के बच्चों को सत्रांत तक हिंदी पढ़ने लायक बना दिया सत्र 2013 -14 में तत्कालीन डीपीसी डॉ. अनिल कुशवाहा अंग्रेजी माध्यम शाला योजना लेकर आए जिसमें टोंक खुर्द विकासखंड की 3 शालाओं का चयन हुआ जिसमें प्रथम शाला प्रा. वि. कराडिया थी शाला का माध्यम अंग्रेजी होने से पालक को और बच्चों में उत्साह का माहौल बन गया । शाला के नामांकन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। बच्चों के साथ खूब मेहनत कर दो माह में ही उन्हें अंग्रेजी की बहुत सारी बातें याद हो गई। डाइट की टीम द्वारा बार-बार बच्चों का मूल्यांकन किया गया उन्होंने अपनी संतुष्टि प्रदान की उनकी अनुशंसा पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय समारोह( परेड ग्राउंड) पर तत्कालीन प्रभारी मंत्री श्री सुरेंद्र पटवा द्वारा मुझे सम्मानित किया गया इसके बाद राज्य से दल का कई बार शाला में आगमन हुआ शाला परिसर साफस्वच्छ ,शुद्ध पेयजल व्यवस्थित बैठक व्यवस्था, गुणवत्तापूर्ण पूर्ण मध्यान्ह भोजन व बच्चों द्वारा स्वयं पुस्तकालय का संचालन राष्ट्रीय पर्व पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूरे गांव की सहभागिता, एसएमसी के सदस्यों का सहयोग बच्चों को मोबाइल के माध्यम से नई नई जानकारियां प्रदान करना व् मेरे द्वारा कई पाठों के वीडियोलेसन बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किए गए जिससे हमारी शाला के बच्चे तो लाभान्वित हो रहे हैं ।साथ ही अन्य विद्यालय के बच्चे भी उन्हें देखकर लाभान्वित हो रहे हैं मुझे डाइट द्वारा डीआरजी का दायित्व देने से मैं भोपाल से प्रशिक्षण प्राप्त करता हूं जिसका सीधा लाभ मेरे विद्यालय के बच्चों को मिलता है हमारा प्रयास रहता है कि हम कक्षा 1 में प्रवेश लेने वाले छात्रों को सत्र समाप्ति से पहले पुस्तक पढ़ना सिखा दे। बच्चे भी हमारे विद्यालय पहुंचने से पूर्व ही शाला में आ जाते हैं और पूरे मनोयोग के साथ विद्या ग्रहण करते हैं।