सेवाा को मिला गुरु नानक देव का प्रत्यक्ष आशीर्वा
उज्जैन। शहर से 17 किलोमीटर दूर अंबोदिया स्थित सेवाधाम आश्रम में प्रकाशपर्व पर तीन एचआईवी पीड़ित बच्चों सहित सात पीड़ितों को अपनाया गया सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई ने बताया कि प्रकाश पर्व पर पीड़ितों का सेवाधाम में प्रवेश दरअसल श्री गुरु नानक देव का आशीर्वाद है , आधुनिक और विकासशील युग में हम कितनी ही प्रगति क्यों न कर ले लेकिन यदि हमारा ही कोई भाई विपत्ति ग्रस्त है बेसहारा है निराश्रित है ,भूखा ,नंगा ,बीमार और आश्रय हीन है सोचिए क्या वह विकास और प्रगति सार्थक है यह चिंतन योग्य विषय है आज पूरा विश्व प्रकाश पर्व मना रहा है सेवाधाम गुरुद्वारे में भी विशेष आयोजन हुए । आज सुबह अकोला से एक भाई का एक मनोरोग पीड़िता के लिए कॉल आया इतना परेशान यहां तक की जीना नहीं चाहता था उसका जीवन मृत्यु से भी बदतर हो गया स्थिति समझ कर प्रवेश के लिए स्वीकृति । गुरुद्वारे में प्रार्थना कर रहा था दीवान साहेब में विराजमान गुरुग्रंथ साहिब जीवंत स्वरूप में है यह सभी जानते है ५५० वां प्रकाश पर्व जीवन के अंतिम समय तक जरूरत मंदो की सेवा के लिए सामर्थ मांग रहा था मोबाइल की घंटी बज उठी कॉल लेना नहीं चाहता था किन्तु उठालिया दूसरी ओर से नजर अली मिल कंपाउंड स्थित नव निर्मित स्विमिंग पूल में कार्यरत शर्मा जी ने अपना परिचय दिया और बताया स्विमिंग पूल के बाहर गले के केंसर से पीड़ित एक मां जीवन की अंतिम सांसे गीन रही है यह सुनते ही गुरु का आशीर्वाद मान उस मां को लाने की स्वीकृति दी आंखो से अश्रुधारा बहती चली गई रोंगटे खड़े हो गए सिर वाहे गुरु के चरणों में झुक गया प्रकाश पर्व पर प्रार्थना के समय सेवा का ऐसा आशीर्वाद कल्पना से परे था ग्रंथिजी भी आश्चर्य चकित थे । नाश्ता कर रहा था पुलिस बल के साथ होशंगाबाद कलेक्टर के माध्यम से दो बच्चे आए पत्र देखा दोनों बच्चे HIV + पीड़ित थे उम्र ४ और १० वर्ष बच्चो के माता पिता नहीं सड़को पर भटकने को मजबुर स्वीकार किया प्रवेश प्रक्रिया चल रही थी की होशंगाबाद बाल कल्याण समिति ने ४ और बच्चो के लिए आग्रह किया इनमें एक Hiv है लगभग इसी समय पुलिस टीम सरकारी वन स्टाफ सेंटर उज्जैन से एक मंद बुद्धि आदिवासी महिला को जो झारखंड की रहने वाली ADM आदेश से लेकर आ गई वाहेगुरु का खूब धन्यवाद दिया रात होते होते बरेली भोपाल इंदौर से और इसी प्रकार के कई कॉल आए और सबकी हालत एकदम खराब रोज कई कॉल आते है लेकिन आज का दिन कुछ विशेष ही था एक को भी मना करने की हिम्मत नहीं हुई । वर्तमान में ६५० सदस्यों के परिवार में संसाधन सीमित है लेकिन आपका साथ और ईश्वर प्रदत्त मां का ह्रदय कैसे मना कर सकता है । आइए हम सब अपने संसाधनों का एक हिस्सा हमारे ऐसे स्व जनों तक जरुर पहुंचाएं । सोचता हूं १९७० से प्रारंभ मेरे सेवा कार्यों को यदि १९७४ में बाबा बिनोबा भावे का मार्गदर्शन नहीं मिला होता तो वर्धा मेडिकल कॉलेज से चिकित्सक बनता १९८७ में मदर टेरेसा और१९८८ में बाबा आमटे इस शरीर द्वारा प्रभु की अनंत कृपा से स्थापित कुष्ठ सेवा केन्द्र में नहीं आते उनका सानिध्य और आशीष ,प्रोत्साहन नहीं मिला होता तो सेवाधाम स्थापित ही नहीं हो पाता में धन्य हूं मुझे ऐसे महापुरुषों का आशीर्वाद मार्गदर्शन मिला ।